अरे हाँ भई हम पुरूष भी प्रताड़ित होते हैं कहते नहीं है पर अंदर ही अंदर रोते हैं काया और हृदय से कठोर जाने जाते हैं बल से नहीं जीते जाते,तो तानों से मारे जाते हैं शीघ्र ही आँखों से आँसू ...
अरे हाँ भई हम पुरूष भी प्रताड़ित होते हैं कहते नहीं है पर अंदर ही अंदर रोते हैं काया और हृदय से कठोर जाने जाते हैं बल से नहीं जीते जाते,तो तानों से मारे जाते हैं शीघ्र ही आँखों से आँसू ...