दिल से दिलों तक पहुँचने हेतु
बाँध रही हूँ स्नेह शब्दों के सेतु।मैं एक गृहिणी हूँ जिसने पचपन साल की उम्र में कविता लिखना आरम्भ किया है।।शब्दों में खोकर ख़ुद को ढूँढ रही हूँ। अपनी पहचान बना रही हूँ।
सारांश
दिल से दिलों तक पहुँचने हेतु
बाँध रही हूँ स्नेह शब्दों के सेतु।मैं एक गृहिणी हूँ जिसने पचपन साल की उम्र में कविता लिखना आरम्भ किया है।।शब्दों में खोकर ख़ुद को ढूँढ रही हूँ। अपनी पहचान बना रही हूँ।
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