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प्रणय बंधन

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प्रणय बंधन निस्पंद आँखें तड़पन छुपाए प्रेम-रोग हृदय चीर जाए नयनों में दीपक से जलते प्रीत मिलन के सपने पलते द्रिगु मूँदूँ छवि तेरी चित्रित मुक्तामणि से आँसू झरते वेदना आंसुओं रथ बैठा ढूंढती पलकों ...

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लेखक के बारे में
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rekha drolia

दिल से दिलों तक पहुँचने हेतु बाँध रही हूँ स्नेह शब्दों के सेतु।मैं एक गृहिणी हूँ जिसने पचपन साल की उम्र में कविता लिखना आरम्भ किया है।।शब्दों में खोकर ख़ुद को ढूँढ रही हूँ। अपनी पहचान बना रही हूँ।

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