प्रकृति की लीला न्यारी, कहीं बरसता पानी, बहती नदियां, कहीं उफनता समंद्र है, तो कहीं शांत सरोवर है। प्रकृति का रूप अनोखा कभी, कभी चलती साए-साए हवा, तो कभी मौन हो जाती, प्रकृति की लीला न्यारी है। कभी ...
प्रकृति की लीला न्यारी, कहीं बरसता पानी, बहती नदियां, कहीं उफनता समंद्र है, तो कहीं शांत सरोवर है। प्रकृति का रूप अनोखा कभी, कभी चलती साए-साए हवा, तो कभी मौन हो जाती, प्रकृति की लीला न्यारी है। कभी ...