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लगने लगा है अब तो अजीब ये सवेरा दूर दूर तक नजर नहीं आता किसी पंछी का बसेरा कभी लगती थी ताजा सी सुबह, जब सुनाते थे पंछी भोर का संदेशा कभी सूरज की किरणों को, गोधूलि बेला में करते थे विदा पर शायद ...