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पूस की रात - मुंशी प्रेमचंद

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पर जाड़े की अधिकता से घुटने छाती में समेट लेने पर भी कम्प कपी बंद नहीं होती हैं. जब किसी तरह रहा नहीं गया तो जबरे को धीरे से उठाया और अपनी छाती से चिपटा लिया. गोद में लेने पर कुत्ते की दुर्गन्ध ...

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Rambhan Singh Sengar

कहानियां, प्रेरणा, साहस, धैर्य ✨

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