पिता तुम रहना तुम रहना क्यूंकि अनजाने ही अब तक जीवन की एक डोर का सिरा तुम्हारी ऊँगली से बंधा है और उसी से बंधा है बचपन इसीलिए बचपन अब तक बचा है और बची रह गयी है तुम्हारी छाँह जिस के नीचे अभी भी मै ...
पिता तुम रहना तुम रहना क्यूंकि अनजाने ही अब तक जीवन की एक डोर का सिरा तुम्हारी ऊँगली से बंधा है और उसी से बंधा है बचपन इसीलिए बचपन अब तक बचा है और बची रह गयी है तुम्हारी छाँह जिस के नीचे अभी भी मै ...