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पिंजरे में कैद पंछी

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पिंजरे में कैद मन का पंछी उड़ना चाहे आसमा में कहीं सबको खुश रखने में उसकी जिंदगी निकल गाई पूरी समजाऊ कब तक में इसे उसके बारे क्यों न कोई सोचे अपनी अपनी सब को पड़ी कलम की भी खतम शाही आँसु न अब आँख में ...

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कविता चव्हाण

(लेखन सुरवात -21/06/2020) मी काही लेखीका नाहीये मी एक ब्यूटीशियन आहे.. पण मनातल्या गोष्टी सांगाव्य म्हणून मी लिहतेय....

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