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पीछे का दरवाजा

4.3
30521

माँ के चपत खाने के डर से पीछे के दरवाजा से भाग जाता हूँ आपको तो पता है कह कर दीपक ठठा कर हँसने लगा। नीता बोली सोने जा रहे हो लंदन नहीं पगला। ...!!

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लेखक के बारे में

ना शोहरतों की ख्वाहिशें ना नफरतों की गुंजाइशें ना कोई गिला हैं ना कोई शिकवा बस जिंदगी तुझे जीने की आरज़ू है।

समीक्षा
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    आपकी रेटिंग

  • कुल टिप्पणी
  • author
    शैली मोदी "paheli"
    10 जून 2017
    अपना नाम कहानी में पा कर मैं खुद को पढ़ने से रोक न पाई।🙂 कहानी कुछ इस प्रकार से शुरू होती है - नीला अपनी प्यारी बेटी शैली के साथ सालों बाद गाँव आई हुई है। जब वह शहर में अपना घर संसार बसाने में उलझी हुई थी तभी पीछे गाँव में क्या हो रहा हैं उससे वह अंजान है। उसने सोचा था गाँव जाते ही सबसे घंटोंभर बातें होगी, चाचा के घर से भी सब मिलने आये हुए होंगे और माहौल जमेगा। लेकिन उसकी अपेक्षा से विपरीत ही हुआ। माँ ने अनमन ही थोड़ी बातें करी और फिर खाना लगा दिया। कुछ तो हुआ था जिससे सब परेशां थे। खाने पर उसने छोटे भाई दीपक का बेसब्री से इंतज़ार किया लेकिन वो नहीं आया। पूरी कहानी बताकर पढ़ने का मज़ा किरकिरा करना नहीं चाहती हूँ लेकिन कुछ एहसास और जज्बात इतने गहरे होते है की ऐसी घटनाओं का वास्तविक न होना मानना गलत होगा।
  • author
    20 सितम्बर 2018
    कहानी अच्छी है किंतु यदि थोड़ा और विस्तार करती तो बहुत अच्छी बन जाती।
  • author
    Meghna Shrivastava
    09 जून 2017
    Amazing
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    आपकी रेटिंग

  • कुल टिप्पणी
  • author
    शैली मोदी "paheli"
    10 जून 2017
    अपना नाम कहानी में पा कर मैं खुद को पढ़ने से रोक न पाई।🙂 कहानी कुछ इस प्रकार से शुरू होती है - नीला अपनी प्यारी बेटी शैली के साथ सालों बाद गाँव आई हुई है। जब वह शहर में अपना घर संसार बसाने में उलझी हुई थी तभी पीछे गाँव में क्या हो रहा हैं उससे वह अंजान है। उसने सोचा था गाँव जाते ही सबसे घंटोंभर बातें होगी, चाचा के घर से भी सब मिलने आये हुए होंगे और माहौल जमेगा। लेकिन उसकी अपेक्षा से विपरीत ही हुआ। माँ ने अनमन ही थोड़ी बातें करी और फिर खाना लगा दिया। कुछ तो हुआ था जिससे सब परेशां थे। खाने पर उसने छोटे भाई दीपक का बेसब्री से इंतज़ार किया लेकिन वो नहीं आया। पूरी कहानी बताकर पढ़ने का मज़ा किरकिरा करना नहीं चाहती हूँ लेकिन कुछ एहसास और जज्बात इतने गहरे होते है की ऐसी घटनाओं का वास्तविक न होना मानना गलत होगा।
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    20 सितम्बर 2018
    कहानी अच्छी है किंतु यदि थोड़ा और विस्तार करती तो बहुत अच्छी बन जाती।
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    Meghna Shrivastava
    09 जून 2017
    Amazing