यमुना जी के तट पर पायल की झंकार हुई चली आई विरहन सी वो वृषभानु लली।। गए हैं श्याम जब से नींद भी रूठी रही सूख गया कजरा भी अश्कों की धार बही।। आओ कान्हा अब तो आर्तनाद वो कर रही रो रही हैं गोपियां सारी ...
यमुना जी के तट पर पायल की झंकार हुई चली आई विरहन सी वो वृषभानु लली।। गए हैं श्याम जब से नींद भी रूठी रही सूख गया कजरा भी अश्कों की धार बही।। आओ कान्हा अब तो आर्तनाद वो कर रही रो रही हैं गोपियां सारी ...