आप में भी वह सब कुछ व्याप्त है, जो परमात्मा में है, क्योंकि परमात्मा अपनी सृष्टि के कण-कण में व्याप्त हैं और चराचर जगत में व्याप्त सभी सजीव एवं निर्जीव पदार्थ परमात्मा के ही अंश हैं।
भावनाओं को लिपिबद्ध करना ही काव्य है।
चराचर में व्याप्त पिण्डों के पारस्परिक आकर्षण, रासायनिक प्रभाव तथा उनकी छाया तथा प्रकाश के प्रभाव का जीवन एवं जगत के लिए अध्ययन ज्योतिष प्रेम है।
लाक्षणिक एवं मनोवैज्ञानिक चिकित्सा होम्योपैथी का आधार है।
सृष्टि के कण-कण में व्याप्त परमात्म सत्ता से तादात्म्य स्थापित करने की प्रक्रिया रेकी साधना है।
सारांश
भावनाओं को लिपिबद्ध करना ही काव्य है।
चराचर में व्याप्त पिण्डों के पारस्परिक आकर्षण, रासायनिक प्रभाव तथा उनकी छाया तथा प्रकाश के प्रभाव का जीवन एवं जगत के लिए अध्ययन ज्योतिष प्रेम है।
लाक्षणिक एवं मनोवैज्ञानिक चिकित्सा होम्योपैथी का आधार है।
सृष्टि के कण-कण में व्याप्त परमात्म सत्ता से तादात्म्य स्थापित करने की प्रक्रिया रेकी साधना है।
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बधाई हो! part of the God ईश्वर अंश जीव अविनाशी..... प्रकाशित हो चुकी है।. अपने दोस्तों को इस खुशी में शामिल करे और उनकी राय जाने।