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पराई

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बात से हर बात हो आई है तू मुझमे है तो कैसे पराई है हँसी के दो बोल जो कह ना सके खुश रहो कैसी लड़ाई है! तन्हाई अगर पास आई है तेरी यादों से ही तो मिलाई है दर्द दिल मे है आखों की गवाही है नाराज ...

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लेखक के बारे में
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Uttam

बचपन से ही तो कहानियां सुनते आ रहा हूँ, गाँव मे मेरे पिताजी अपने ग्रामीण भाषा मे लोगों को पूरी रात तक कहानियां सुनाने के लिए प्रसिद्ध हैं। टेलीविजन के आने से पहले लोगों की मनोरंजन नृत्य - नाटक और कहानियों तक सीमित था! कहानियां कभीं नहीं मरती! यही उत्सुकता लिखने के लिए विवश करती है। और लेख जारी है..

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