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पापा, मैं छोटी से बड़ी हो गई! (लेखक : योगेश सिंहल)

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मेरे आने की खुशी का जश्न, टिमटिमाती आंखों से देखकर, रोक न सकी अपने होंठों की हंसी, खिलखिला उठी सबकी खुशी देखकर। भूख लगे तो रातों को जगना, अब ना कोई ख्वाईश ना कोई सपना, मेरे लिए ये प्रेम ये ...