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पैसे पर चलता है आदमी

4.2
259

सुबह से लेकर शाम तक आदमी चलता है पैसे के ऊपर पैसे के बलबुते पैसे के सहारे . चुँकि पैसा हर आदमी की जरूरत है सबका सहारा है हाथ-पाँव है एक तरह की बैशाखी है आदमी की ताकत है . और पैसे के बिना आदमी अपाहिज ...

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लेखक के बारे में

जन्म - 3 जनवरी 1984 को बिहार के सीवान जिले में जन्म .शिक्षा-गणित में स्नातकोत्तर .रचनायें विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित .गाँव में रहकर स्वतंत्र रूप से कवितायें लिखते हैं .

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