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पागल बाबा

4.3
7861
सामाजिककहानी

यह कहानी एक ऐसे पिता की है, जो अपने पोते-पोतियों के दर्शन हेतु अपने बेटे की नौकरी पर रहना चाहता है। पर बेटा उसे नौकरी पर ले जाने वक्त बीच में ही उतार देता है और बाप आत्मग्लानि से भरकर उसी जगह पर ...

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लेखक के बारे में
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Virendra bhardwaj
समीक्षा
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    आपकी रेटिंग

  • कुल टिप्पणी
  • author
    Ranjeet Bhiralia
    14 अक्टूबर 2018
    दिल को छू लेने वाली रचना! बहुत ही अच्छा लगी!
  • author
    30 अगस्त 2019
    वाह री दुनिया, जब अपना मतलब आया तो बाप को ढूंढने निकल पड़ा , वरना बस छुटकारा चाहिए था।
  • author
    Arvind kumar tyagi
    07 अक्टूबर 2018
    Ek samajik story. uchi lagi. Ma, Bap ko apni juthi izzat, samajik pratishta
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    Ranjeet Bhiralia
    14 अक्टूबर 2018
    दिल को छू लेने वाली रचना! बहुत ही अच्छा लगी!
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    30 अगस्त 2019
    वाह री दुनिया, जब अपना मतलब आया तो बाप को ढूंढने निकल पड़ा , वरना बस छुटकारा चाहिए था।
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    Arvind kumar tyagi
    07 अक्टूबर 2018
    Ek samajik story. uchi lagi. Ma, Bap ko apni juthi izzat, samajik pratishta