हृदय में बस गया तेरा, रूप जग से निराला था तेरे खातिर मेरे कृष्णा, पिया विष का पियाला था तेरा ही इक भरोसे से, लड़ गई मैं ज़माने से संभालो आज भी मुझको सदा जैसे संभाला था।। सुनीता ...
हृदय में बस गया तेरा, रूप जग से निराला था तेरे खातिर मेरे कृष्णा, पिया विष का पियाला था तेरा ही इक भरोसे से, लड़ गई मैं ज़माने से संभालो आज भी मुझको सदा जैसे संभाला था।। सुनीता ...