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*पद पदाकुलक छंद*

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कर कृपा हे कृष्ण, जगत-कृपानिधान हो । सौंप रही मैं प्राण, प्रभु मुझको वरदान दो। करती हूँ अरदास ,कर मेरा उद्धार दो।  स्वशरण में रख मुझे, थोड़ा सा तो प्यार दो। स्व रचित अनामिका वैश्य आईना लखनऊ ...

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कवयित्री

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