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बेशक, आजाद परिंदा नहीं हूँ मैं कुछ पाबंदियों के शौक मैंने खुशी से पाल रखें हैं.... #DRP# ...

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लेखक के बारे में
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Divya rani Pandey

.मैंने अभी सिर्फ कलम उठाया है,अभी लिखने के साथ सीखना भी बाकी है।

समीक्षा
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  • कुल टिप्पणी
  • author
    Vivek Diwan
    11 जून 2019
    बेशक आजाद परिंदा नहीं हूं मैं, पर कुछ पाबंदियों के शौक खुशी से पाल रखे हैं, उड़ तो जाऊं मैं भी बादलों के ऊपर भी, पर जिम्मेदारियों ने पंखों पर बोझ डाल रखे हैं......
  • author
    18 जून 2019
    Very nice, ap meri rachna" koi bat purani ", उसूलों पर चला होगा, और क़िस्मत का हारा हूँ। पढ़िए और btaiye kaisa hai
  • author
    अरुण
    17 जून 2019
    अपने लिखा तो है लेकिन सिर्फ 2 लाइनर, ये कोई रचना नही है। लिखना कहती हो तो रचना को थोड़ा विस्तार दो। best of luk Divya ji👍
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    Vivek Diwan
    11 जून 2019
    बेशक आजाद परिंदा नहीं हूं मैं, पर कुछ पाबंदियों के शौक खुशी से पाल रखे हैं, उड़ तो जाऊं मैं भी बादलों के ऊपर भी, पर जिम्मेदारियों ने पंखों पर बोझ डाल रखे हैं......
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    18 जून 2019
    Very nice, ap meri rachna" koi bat purani ", उसूलों पर चला होगा, और क़िस्मत का हारा हूँ। पढ़िए और btaiye kaisa hai
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    अरुण
    17 जून 2019
    अपने लिखा तो है लेकिन सिर्फ 2 लाइनर, ये कोई रचना नही है। लिखना कहती हो तो रचना को थोड़ा विस्तार दो। best of luk Divya ji👍