विनय के दुनिया से बाहर आना,जैसे उसकी बस ये करो वो करो से बाहर आ गयी मोहिना,परिवार से बढ़कर कुछ भी नहीं...नाउ इट्स ऑवर...... क्या मोहिना माफ़ करेगी विनय को,
इश्क़ करके हम बस ये सिखे ,लोग किसी के लिये नही रुकते..और इश्क़ मैं तोह हम लेख़क ही बने हुऐ थे,पर अब उनके लिये नही खुद के लिए लिखते है...प्रतिलिपि को बहुत शुक्रिया कहना चाहूँगा कि एक सही जगह दिखाया।कोशिस होगी अच्छे लिखने की।
सारांश
इश्क़ करके हम बस ये सिखे ,लोग किसी के लिये नही रुकते..और इश्क़ मैं तोह हम लेख़क ही बने हुऐ थे,पर अब उनके लिये नही खुद के लिए लिखते है...प्रतिलिपि को बहुत शुक्रिया कहना चाहूँगा कि एक सही जगह दिखाया।कोशिस होगी अच्छे लिखने की।
its really a very good story..
shaadi ke sahi mayne samjhne wale bhot kam log is duniya me hai..
aur jo log vivah ko samajh nahi sakte, unka yahi anjam hona chaiye...
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