प्रेम निष्ब्द् बस प्रेम झर झर झरे बस प्रेम जैसे ये वर्षा की बुँदे सद्य स्नात निश्छल सी बस पृथ्वी पर गिरे टिप टप की धुन तरंगित करे आओ इस छतरी के तले हम भी नैनो में नैन डाल साँसों की इस लय के साथ एक ...
प्रेम निष्ब्द् बस प्रेम झर झर झरे बस प्रेम जैसे ये वर्षा की बुँदे सद्य स्नात निश्छल सी बस पृथ्वी पर गिरे टिप टप की धुन तरंगित करे आओ इस छतरी के तले हम भी नैनो में नैन डाल साँसों की इस लय के साथ एक ...