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निंदक नियरे राखिए

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हमारे महान समाज सुधारक कबीरदास जी ने कहा है कि "निंदक नियरे राखिए , आंगन कुटी छवाय । बिन पानी साबुन बिना निर्मल करे सुभाय ।। अर्थात हमें अपने पास चापलूस नहीं आलोचक रखने चाहिए जो हमारी कमियां बता ...

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लेखक के बारे में
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श्री हरि

हरि का अंश, शंकर का सेवक हरिशंकर कहलाता हूँ अग्रसेन का वंशज हूँ और "गोयल" गोत्र लगाता हूँ कहने को अधिकारी हूँ पर कवियों सा मन रखता हूँ हिन्दी, हिन्दू, हिन्दुस्तान से बेहद, प्यार मैं दिल से करता हूँ ।। गंगाजल सा निर्मल मन , मैं मुक्त पवन सा बहता हूँ सीधी सच्ची बात मैं कहता , लाग लपेट ना करता हूँ सत्य सनातन परंपरा में आनंद का अनुभव करता हूँ हिन्दी, हिन्दू, हिन्दुस्तान से बेहद, प्यार मैंदिल से करता हूँ

समीक्षा
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  • author
    Hemalata Godbole
    09 जनवरी 2021
    आज तक इतना सही और सटीक लेख ज्ञानचक्षु खोलने वाला और कृष्ण के रहस्यमय ज्ञान में सेभी आगे महत्वपूर्ण ज्ञान सोपान देने वाला पढने मे नही आया मुझे तो सही पत्रकार आप ही लगते है प्रतिलिपि के विस्तीर्ण फलक के । कृष्ण ने नारद से ज्ञान पाया , नारद ने आपसे । तो आप क्या हैं सोच ले । कबीर कहां कृष्ण नारद और इंद्र, कौन कहां ? आप यहां नहोते ऐसे हैं पर वैसे भीहोते ,पता नही किसके जैसे होते होते या आभासी होतें या साक्षात होते दिखते भी नही भी तो कैसे होते मै तो सोच कर बैठ ग ई । धन्य हो प्रभु। शुभचिंतन। ।
  • author
    Anita Yadav
    09 जनवरी 2021
    वाह बहुत ही शानदार हमेशा की तरह बहुत ही सुंदर रचना लिखी है आपने और सच कहुँ तो आपकी रचना हमारे समाज का एक सच भी है और जिस तरह से आपने अपनी रचना में पौराणिक तथ्यों को जोडा़ है वो बहुत ही बेहतरीन है आज के समय में पैसे से बडा़ कुछ भी नही है किसी के लिए और ये भी सही कहा आपने कि कुछ आलोचक ऐसे होते हैं कि जब तक वो किसी की आलोचना किसी की बुराई न कर लें उनका खाना हजम नहीं होता बहुत बहुत ही सुंदर बेहतरीन रचना
  • author
    Neelam Neel
    09 जनवरी 2021
    बहुत सुंदर लगा सर ,,नारद जी के साथ इंद्रपुरी की यात्रा ,,, बहुत सुंदर व्यंग ,, सत्य को दर्शाती ,, 👏👏👏👏👏👌👌🙏🙏🙏
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    Hemalata Godbole
    09 जनवरी 2021
    आज तक इतना सही और सटीक लेख ज्ञानचक्षु खोलने वाला और कृष्ण के रहस्यमय ज्ञान में सेभी आगे महत्वपूर्ण ज्ञान सोपान देने वाला पढने मे नही आया मुझे तो सही पत्रकार आप ही लगते है प्रतिलिपि के विस्तीर्ण फलक के । कृष्ण ने नारद से ज्ञान पाया , नारद ने आपसे । तो आप क्या हैं सोच ले । कबीर कहां कृष्ण नारद और इंद्र, कौन कहां ? आप यहां नहोते ऐसे हैं पर वैसे भीहोते ,पता नही किसके जैसे होते होते या आभासी होतें या साक्षात होते दिखते भी नही भी तो कैसे होते मै तो सोच कर बैठ ग ई । धन्य हो प्रभु। शुभचिंतन। ।
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    Anita Yadav
    09 जनवरी 2021
    वाह बहुत ही शानदार हमेशा की तरह बहुत ही सुंदर रचना लिखी है आपने और सच कहुँ तो आपकी रचना हमारे समाज का एक सच भी है और जिस तरह से आपने अपनी रचना में पौराणिक तथ्यों को जोडा़ है वो बहुत ही बेहतरीन है आज के समय में पैसे से बडा़ कुछ भी नही है किसी के लिए और ये भी सही कहा आपने कि कुछ आलोचक ऐसे होते हैं कि जब तक वो किसी की आलोचना किसी की बुराई न कर लें उनका खाना हजम नहीं होता बहुत बहुत ही सुंदर बेहतरीन रचना
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    Neelam Neel
    09 जनवरी 2021
    बहुत सुंदर लगा सर ,,नारद जी के साथ इंद्रपुरी की यात्रा ,,, बहुत सुंदर व्यंग ,, सत्य को दर्शाती ,, 👏👏👏👏👏👌👌🙏🙏🙏