pratilipi-logo प्रतिलिपि
हिन्दी

निंदा सबद रसाल

11

धार्मिक लोग और धर्मशास्त्र लाख कहें कि निंदा करना अथवा सुनना पाप है परंतु जो लोग इस रस में आकंठ डूबे हैं वो इस बात को कहाँ मानने वाले हैं, उनके लिए तो ये गूंगे केरी सर्करा खाए और मुस्काए वाली ...

अभी पढ़ें
लेखक के बारे में
author
Shraddha Arha

श्रद्धा आढ़ा निरंतर गद्य एवं पद्य की विभिन्न विधाओं में लिखने में सक्रिय है। पत्र-पत्रिकाओं में कहानियाँ कविताएँ व व्यंग्य रचनाएँ प्रकाशित हो चुकीं हैं। 'अभी सफ़र में हूँ' उनकी कविताओं की पुस्तक है। फेसबुक, इंस्टाग्राम एवं यू ट्यूब पर उनका लेखन पढ़ा और सुना जा सकता है।

समीक्षा
  • author
    आपकी रेटिंग

  • रचना पर कोई टिप्पणी नहीं है
  • author
    आपकी रेटिंग

  • रचना पर कोई टिप्पणी नहीं है