धार्मिक लोग और धर्मशास्त्र लाख कहें कि निंदा करना अथवा सुनना पाप है परंतु जो लोग इस रस में आकंठ डूबे हैं वो इस बात को कहाँ मानने वाले हैं, उनके लिए तो ये गूंगे केरी सर्करा खाए और मुस्काए वाली ...
श्रद्धा आढ़ा निरंतर गद्य एवं पद्य की विभिन्न विधाओं में लिखने में सक्रिय है। पत्र-पत्रिकाओं में कहानियाँ कविताएँ व व्यंग्य रचनाएँ प्रकाशित हो चुकीं हैं। 'अभी सफ़र में हूँ' उनकी कविताओं की पुस्तक है। फेसबुक, इंस्टाग्राम एवं यू ट्यूब पर उनका लेखन पढ़ा और सुना जा सकता है।
सारांश
श्रद्धा आढ़ा निरंतर गद्य एवं पद्य की विभिन्न विधाओं में लिखने में सक्रिय है। पत्र-पत्रिकाओं में कहानियाँ कविताएँ व व्यंग्य रचनाएँ प्रकाशित हो चुकीं हैं। 'अभी सफ़र में हूँ' उनकी कविताओं की पुस्तक है। फेसबुक, इंस्टाग्राम एवं यू ट्यूब पर उनका लेखन पढ़ा और सुना जा सकता है।
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