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निमिषा: इत्तू सा लम्हा 😉

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एक रोज़ फुरसत में मिली थी तुम हाथ थाम के बैठी थी तुम्हारा मैं कितना कुछ कहना था तुमसे तुम्हारी उंगली थाम के उन बीते सालों में गुम हो जाना चाहती थी मीलों का रास्ता तय करना था उस कल में जीना था ...

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लेखक के बारे में
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Rani ✨Vijay Laxmi✨

गर परवाह है मेरी तुम्हें, तो मुझे बेपरवाह ही रहने दो।

समीक्षा
  • author
    आपकी रेटिंग

  • कुल टिप्पणी
  • author
    Anup Jain
    01 जुलाई 2021
    बहुत खूब.. मन की बात कहना कोई आप से सीखे 👍👌🏻
  • author
    Balram Soni
    01 जुलाई 2021
    बहुत बेहतरीन रचना आपकी प्रशंसनीय जय श्री राधे कृष्णा🙏
  • author
    Sharda yogi✍️
    01 जुलाई 2021
    बहुत बहुत सुंदर
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    आपकी रेटिंग

  • कुल टिप्पणी
  • author
    Anup Jain
    01 जुलाई 2021
    बहुत खूब.. मन की बात कहना कोई आप से सीखे 👍👌🏻
  • author
    Balram Soni
    01 जुलाई 2021
    बहुत बेहतरीन रचना आपकी प्रशंसनीय जय श्री राधे कृष्णा🙏
  • author
    Sharda yogi✍️
    01 जुलाई 2021
    बहुत बहुत सुंदर