आदिकाल से गुरु परम्परा की जो अविरल धारा प्रवाहित है उसका मात्र इतना ही संदेश होता है कि- काल के चक्र में बंधकर तो दुःख-सुख भोगता हुआ व्यक्ति तीव्रता से मृत्यु के तट तक जाने के लिए स्वयं ही ...
आदिकाल से गुरु परम्परा की जो अविरल धारा प्रवाहित है उसका मात्र इतना ही संदेश होता है कि- काल के चक्र में बंधकर तो दुःख-सुख भोगता हुआ व्यक्ति तीव्रता से मृत्यु के तट तक जाने के लिए स्वयं ही ...