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हिन्दी

नई सुबह

4.4
4564

रोते-रोते रजनी को पता ही नहीं चला कि वो कब नींद की आगोष में चली गई । उसे तो बस इतना याद रहा कि सूरज उसे प्यार से एक मां की तरह सुला रहा था , उसकी ऑंखों में भी ऑंसू थे । रो लेने व सूरज के प्यार भरे ...

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लेखक के बारे में
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बसंती पंवार

बसन्ती पंवार । जन्म-बसंत पंचमी, बीकानेर ( राजस्थान ) । हिन्दी व राजस्थानी भाषा की सात पुस्तकें प्रकाशित । हिन्दी व्यंग्य संग्रह " नाक का सवाल " का अंग्रेजी में अनुवाद । चार पुस्तकें प्रकाशनाधीन । पैंतालीस पुरस्कार और सम्मान प्राप्त । विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में रचनाओं का निरंतर प्रकाशन । आकाशवाणी और दूरदर्शन पर कार्यक्रम । विशेष-राजस्थानी भाषा की पहली महिला उपन्यासकार । यूट्यूब पर " मैं बसंत " नाम से चेनल ।

समीक्षा
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  • कुल टिप्पणी
  • author
    Ajmeen Khan
    19 नवम्बर 2021
    achi khani h piyar ek bar me hi Sacha mil jaye to fir kuch nhi chiye hota zindagi me sab kuch mil gya mano mohabat ki kadar karo
  • author
    shashiprabha srivastava
    19 अप्रैल 2021
    एक आदर्श रचना अपनी उड़ान इतनी भी ऊंची नहीं करनी चाहिए कि जब आप गिरें तो नीचे दलदल हो नायक का किरदार बेहद खूबसूरत है 👌👌🌹🌹🙏🙏
  • author
    Alpana shrivastava
    29 जुलाई 2021
    kahani achhi hai lekin aapne bahut ashudh likha hai ye padkar bada hi dukh hota hai k hamari rashtra bhasha hindi hai .
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    Ajmeen Khan
    19 नवम्बर 2021
    achi khani h piyar ek bar me hi Sacha mil jaye to fir kuch nhi chiye hota zindagi me sab kuch mil gya mano mohabat ki kadar karo
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    shashiprabha srivastava
    19 अप्रैल 2021
    एक आदर्श रचना अपनी उड़ान इतनी भी ऊंची नहीं करनी चाहिए कि जब आप गिरें तो नीचे दलदल हो नायक का किरदार बेहद खूबसूरत है 👌👌🌹🌹🙏🙏
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    Alpana shrivastava
    29 जुलाई 2021
    kahani achhi hai lekin aapne bahut ashudh likha hai ye padkar bada hi dukh hota hai k hamari rashtra bhasha hindi hai .