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नया हुनर आना चाहिए

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ग़ज़ल अगर तुझे अपने हिसाब से, ये ज़माना चाहिए, तो भीड़ से अलग कुछ नया हुनर आना चाहिए। सरफिरे मुश्ताक़ की तरह रोजाना घूमते हो गली में, छत पर ना सही उसे बालकनी में तो आना चाहिए। ये मुहब्बत है ज़रा ...

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Love doesn't occur.... It happens.... Shayar

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