फोन आया था कि राजधानी एक्सप्रेस में एक सीट है चले आवें. माताजी ने खाना-पीना छोड़ रखा है. बेहोश हैं. छुट्टी लेकर पहले डेरा आना था उसके बाद ट्रेन के लिए निकलना था. पहले रिक्शा फिर बस फिर ऑटो फिर ट्रेन ...
जब मनुष्य कुकर्म करता है ,
उसे तब खयाल भी नही आता कि जाने किस रूप में उसके कर्मो का प्रतिफल उसे भोगना पडेगा
अपने अपने हिस्से का दुख हर कोई पाता है , किसी ना किसी रूप में
यही मनुष्य की नियति है
रिपोर्ट की समस्या
सुपरफैन
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bhut hi marmik lekhni h,,, bhut hi shandar aur behtarin bhi h,,, it's amazing story ke liye jitani bhi tariff Kru km hi pada jayegi,,, thanks for the story sirji...
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