pratilipi-logo प्रतिलिपि
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कि, एक नश्तर-सा महसूस हुआ, दिल की गहराई में, कुछ जुम्बिश-सी हुई है, फिर उसकी परछाई में, मेरा कतरा-कतरा था, उसकी तबस्सुम पर न्यौछावर, फिर क्यों दिए जख्म, मुझें अंधेरों की तन्हाई में। । ::::शालिनी:::: ...