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नारी शक्ति पर दोहे

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नारी तुम अवला नहीं, तुम होत शक्ति स्वरूप । ज्ञात करो कैसे कहाँ, भूली अपना रूप।। नर में कोई बल नहीं, बिन मात्रा बिन भार। आ ई की मात्रा लगी,  होत हैं वजन दार। नर जहाँ मृत समान हैं, बिन मात्रा बिन भार। ...

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लेखक के बारे में

नाम: गिरधारी लाल चतुर्वेदी जन्म स्थान : मथुरा व्यवसाय :नोकरी विभाग : एकाउन्ट फाईनेन्स असिस्टेंट मेनेजर भुगतान विभाग संसथान: मनीपाल होस्पीटल आदतॆ: कृकेट खेलना , बचपन से कविता, व व्यंग लेखन, सामाजिक व राजनेतिक चिंतन ।

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