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नमस्ते जी नमस्ते

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मेरी नजर मे ये समाज है एक खेत जिसमें आज  आज एक मुट्ठी अनाज चार महीने बाद भर लो चार बोरी अनाज समाज को दोगे आप जो ये समाज आपको लौटा कर देगा वही आप इसे प्रेम दो या नफरत दो या दे दो त्याग ...

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Rakesh Mohan
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