नक्षत्र के छत्र मे विचित्र चित्र दिख रहे क्षत्रपो के छत के नीचे छुप रहे चोर है छुपा रखे है जो,वो ही कर रहे है शोर घनघोर घटा छा रही,काला साया है बन जो घटक है बन रहे वो भी रहे है लटक स्वार्थ मे है ...
नक्षत्र के छत्र मे विचित्र चित्र दिख रहे क्षत्रपो के छत के नीचे छुप रहे चोर है छुपा रखे है जो,वो ही कर रहे है शोर घनघोर घटा छा रही,काला साया है बन जो घटक है बन रहे वो भी रहे है लटक स्वार्थ मे है ...