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नक्श ए क़दम

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जानती हूं कि लहरों ने मिटा दिए हैं              कदमों के निशाँ फिर भी अक्सर          सागर किनारे तुम्हारे खोए हुए नक़्श-ए-क़दम            पर चलने की कोशिश किया करती हूं             ...