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नैनों में बदरा छाए

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जब रितु सावन आए, नैनों में बदरा छाए यादों में साजन तेरी हम, दिन रैन बिताये बागों में झूले पड़े, कोयलिया शोर मचाये ऐसे में साजन तेरी, याद मोहे रही तरसाये हरी हरी मेहंदी चूड़ी,जिया मोरा ललचाये तुझ बिन ...