pratilipi-logo प्रतिलिपि
हिन्दी

नदी कंधे पर

0
छोटी कवितायेंनदी कंधे पर

अगर हमारे बस मे होता, नदी उठाकर घर ले आते| अपने घर के ठीक सामने, उसको हम हर रोज बहते| कूद-कूदकर,उछल-उछलकर, हम मित्र के साथ नाहाते| कभी तेरते कभी डूबते, इतराते गाते मस्ताते| नदी आ गई चलो नहाने, ...

अभी पढ़ें
लेखक के बारे में
author
Prakash mhatre
समीक्षा
  • author
    आपकी रेटिंग

  • रचना पर कोई टिप्पणी नहीं है
  • author
    आपकी रेटिंग

  • रचना पर कोई टिप्पणी नहीं है