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नबी की शान में

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बता कैसे आया तकब्बुर, इस तेरी उड़ान में, जो करने लगा गुस्ताख़ी, तू नबी की शान में। नबी के दर पे फ़ना कर, इस तकब्बुर को तू, क्योंकि होते नहीं मरकज़, खुले आसमान में। याद रख कि तुझे पंख भी, मेरे नबी ...

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मानव दास

एक क़बीलाई मुसाफ़िर... [email protected]

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