pratilipi-logo प्रतिलिपि
हिन्दी

मुसाफ़िर

5
49

उस  रात  एक अज़नबी मुसाफ़िर से रास्ते में मुलाक़ात हुई । हम दोंनो अलग मंज़िल पर निकल रहे थे । वो बस स्टैंड जो कि लोगो से भरा पड़ा होता था वहां आज  हम दोने के अलावा कोई नहीं था । मेरे मांसी के घर से ...

अभी पढ़ें
लेखक के बारे में
author
aniket kathale
समीक्षा
  • author
    आपकी रेटिंग

  • रचना पर कोई टिप्पणी नहीं है
  • author
    आपकी रेटिंग

  • रचना पर कोई टिप्पणी नहीं है