अपने घर के बगीचे में कांपते हाथों से फूलों में पानी सीजती वह बूढ़ी औरत कुछ बुदबुदा रही थी। ऐसे ही... ऐसे ही... सींचा था उसे भी। पानी से..? नहीं..खून से,मेरा अंशु,मेरा बेटा, यह कहते हुए उस बूढ़ी ...
अपने घर के बगीचे में कांपते हाथों से फूलों में पानी सीजती वह बूढ़ी औरत कुछ बुदबुदा रही थी। ऐसे ही... ऐसे ही... सींचा था उसे भी। पानी से..? नहीं..खून से,मेरा अंशु,मेरा बेटा, यह कहते हुए उस बूढ़ी ...