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मुक्ति

4.5
11228

प्लेन में बैठते ही शिवाय ने मोबाइल का नेट ऑन किया तो देखा , अनामिका का मैसेज था - खाना खाया? फ्लाईट समय पर तो है ना? खिन्न मन से 'हां' लिख कर भेज दिया। सच ही कहते हैं सब, ये औरतें अजीब होती हैं। ...

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लेखक के बारे में
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भारती कुमारी

A human being 😊

समीक्षा
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    आपकी रेटिंग

  • कुल टिप्पणी
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    Neelam Singh
    16 ऑक्टोबर 2018
    जीवन की ये भी एक सच्चाई है जो लगभग 50 परसेंट औरतों को सहन करना पड़ता है
  • author
    14 फेब्रुवारी 2019
    आदरणीया भारती जी, बहुत अच्छी कहानी। स्त्री मन की भावनाओं को अभिब्यक्त करती सुन्दर कहानी ! आप इसी साइट पर मेरी कहानियाँ भी पढ़ें और अपनी प्रतिक्रिया दें। आप marmagyanet.blogspot.com पर मेरा ब्लॉग भी विसिट करें और अपने विचार दें। मैने बसंत ऋतु के आगमन पर अपनी एक रचना अपने यूट्यूब चैन्नेल marmagya net के नीचे दिए गए लिन्क पर अपलोड किया है। कुछ पक्तियाँ मैने महाप्राण निराला जी पर लिखी है। ज्ञात हो कि बसंत पंचमी के दिन ही उनका जन्मदिवस है। मेरी कविता सुनें, लाइक करें और चैन्नेल को सब्सक्राईब भी करें। बेल आइकॉन जरूर दबा देँ, ताकि कोई भी नई रचना अपलोड होने पर उसकी सूचना आपको मिल जाय: https://youtu.be/r1zLRcNpq8U सादर आभार! ब्रजेन्द्रनाथ
  • author
    02 फेब्रुवारी 2019
    "मुक्ति" 1.स्त्री केवल देह नहीं है.यह संदेश है इस कहानी में 2. स्त्री को देह मानने वाली सोच की जंजीर से मुक्त होने की कहानी है 3 सहजता से संदेश पहुंचती है 4 "प्रेम" मैं केवल देह नहीं हूं मेरे भीतर केवल रक्त, मांस, हड्डी का समन्वय ही नही है.. मैं कोई खिलौना नहीं हूं कि लुभा लुभा कर भुला भुला कर खेल लिया जाए.... मेरे भीतर मन भी है जिसे स्नेह चाहिए... मेरी मर्जी भी है जिसे स्वतंत्र आकाश चाहिए... 5 संसार के सभी प्राणी परिंदों की तरह स्वतंत्र सोचना और जीना चाहते है.समस्त सुविधा देकर स्वतंत्रता नहीं छिन सकते.
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    Neelam Singh
    16 ऑक्टोबर 2018
    जीवन की ये भी एक सच्चाई है जो लगभग 50 परसेंट औरतों को सहन करना पड़ता है
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    14 फेब्रुवारी 2019
    आदरणीया भारती जी, बहुत अच्छी कहानी। स्त्री मन की भावनाओं को अभिब्यक्त करती सुन्दर कहानी ! आप इसी साइट पर मेरी कहानियाँ भी पढ़ें और अपनी प्रतिक्रिया दें। आप marmagyanet.blogspot.com पर मेरा ब्लॉग भी विसिट करें और अपने विचार दें। मैने बसंत ऋतु के आगमन पर अपनी एक रचना अपने यूट्यूब चैन्नेल marmagya net के नीचे दिए गए लिन्क पर अपलोड किया है। कुछ पक्तियाँ मैने महाप्राण निराला जी पर लिखी है। ज्ञात हो कि बसंत पंचमी के दिन ही उनका जन्मदिवस है। मेरी कविता सुनें, लाइक करें और चैन्नेल को सब्सक्राईब भी करें। बेल आइकॉन जरूर दबा देँ, ताकि कोई भी नई रचना अपलोड होने पर उसकी सूचना आपको मिल जाय: https://youtu.be/r1zLRcNpq8U सादर आभार! ब्रजेन्द्रनाथ
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    02 फेब्रुवारी 2019
    "मुक्ति" 1.स्त्री केवल देह नहीं है.यह संदेश है इस कहानी में 2. स्त्री को देह मानने वाली सोच की जंजीर से मुक्त होने की कहानी है 3 सहजता से संदेश पहुंचती है 4 "प्रेम" मैं केवल देह नहीं हूं मेरे भीतर केवल रक्त, मांस, हड्डी का समन्वय ही नही है.. मैं कोई खिलौना नहीं हूं कि लुभा लुभा कर भुला भुला कर खेल लिया जाए.... मेरे भीतर मन भी है जिसे स्नेह चाहिए... मेरी मर्जी भी है जिसे स्वतंत्र आकाश चाहिए... 5 संसार के सभी प्राणी परिंदों की तरह स्वतंत्र सोचना और जीना चाहते है.समस्त सुविधा देकर स्वतंत्रता नहीं छिन सकते.