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मुझे तुमसे कोई शिकायत नही है

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ये मुहब्बत मेरी, मेरा फ़ैसला था तेरा तो मुझसे पेहले ही फ़ासला था क्या हुआ जो तु मेरे साथ नही है मुझे तुमसे कोई शिकायत नही है क्या हसीन रंगत है, क्या हसीन चान्दनी है ये मेरी इकतरफ़ा दिवानगी है ...

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लेखक के बारे में
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Pathak Jee

Advocate and writer

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