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मुझे रिहा कर दो ख़ुद से।

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मुझे रिहा कर दो ख़ुद से, मुझे इश्क़-मोहब्बत पर नहीं लिखना। मुझे घेर दो असीम तकलीफ़ों से, मगर इस दर्द में नहीं रहना। वो जो कुछ नहीं होता है, पर होता है। वो जो होता है, मगर छुप जाता है, उसे महसूस करना ...

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Sourav Poem
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