मैं शांत सा समुंदर सा वो मुझमें कोई लहर जैसी
मै उस खुदा को न मानने वाला वो उस खुदा की मेहर जैसी
सख्त सा रहने वाला मै उसके छूने पिघल रहा हु
उससे मिलके जैसे मैं खुद से मिल रहा हु
फिर एक दिन मैंने उसकी आंखों में मेरे लिए ख्वाब देखे
एक नही 2 नही बेहिसाब देखे
दूरियों में भी नसीब हुआ फसलों का सिलसिला
इस बार मुझे रब से कुछ ज्यादा ही मिला
कल तक जो ख्वाब था मेरा आज वो मेरी हकीकत है
कैसे कहे हमें तुमसे कितनी मोहब्बत है। ❤️❤️