pratilipi-logo प्रतिलिपि
हिन्दी

मृग मरीचिका

5
4

#मरीचिका सारे अपने कहे जाने वालों के दरवाजो से प्रत्याशित इनकार सुन कर सुबह से शाम होने को आई,अब हौसला भी जवाब दे गया, अरूप कंधे पर झोला लिए बोझिल कदमों से सूने सड़क पर आगे बढ़ गया! बेतहाशा भागती ...

अभी पढ़ें
लेखक के बारे में
author
vikas Mishra
समीक्षा
  • author
    आपकी रेटिंग

  • रचना पर कोई टिप्पणी नहीं है
  • author
    आपकी रेटिंग

  • रचना पर कोई टिप्पणी नहीं है