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मृग और बहेलिया

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भजौ राम सीता जो सुख चाहो भाई.. भजौ राम सीता इसी से जगत में ये नर देह पाई... भजौ राम सीता एक दिन एक बहेलिया धनुष बाण कर धार , वीणा बगल दबाए के भयौ जंगल को तैयार। सघन वनी के बीच में एक वृक्ष ...