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माँ रुपी पिता

4.8
28199

यदि माँ, प्यार और देखभाल करने का नाम है तो मेरी माँ मेरे पिताजी है। यदि दयाभाव, माँ को परिभाषित करता है तो मेरे पिताजी उस परिभाषा के हिसाब से पूरी तरह मेरी माँ है। यदि त्याग, माँ को परिभाषित करता ...

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लेखक के बारे में
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मनीषा गौतम
समीक्षा
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    आपकी रेटिंग

  • कुल टिप्पणी
  • author
    Meera Sajwan "मानवी"
    21 मार्च 2018
    वाह!!!अति उत्तम। इतनी सुंदर अभिव्यक्ति के लिए साधुवाद।कौन कहता है कि केवल एक माँ ही बच्चे को अच्छी परवरिश दे सकती है, यह तो सोच पर निर्भर करता है।त्याग, प्यार और समर्पण ऐसे भाव हैं जो हर रिश्ते की बुनियाद हैऔर इन्हीं भावों से ओतप्रोत होने के कारण माँ को बच्चों का भगवान कहा जाता है।वही गुण एक पिता में भी होते हैं आवश्यकता है उन भावों की अभिव्यक्ति की।मन छूलेने वाली कहानी।
  • author
    Anita
    16 अक्टूबर 2018
    I can't write my feelings about this story .My tears are not ready to stop.
  • author
    Dr.Narendra Dev Sharma
    18 फ़रवरी 2019
    पिता का प्यार मौन होता है विशेषतः बेटी के प्रति।इस कथा मे उस मौन को पुष्पो मे पिरो देने का सार्थक प्रयास किया है।लेखिका को हार्दिक बधाई व साधुबाद।
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    Meera Sajwan "मानवी"
    21 मार्च 2018
    वाह!!!अति उत्तम। इतनी सुंदर अभिव्यक्ति के लिए साधुवाद।कौन कहता है कि केवल एक माँ ही बच्चे को अच्छी परवरिश दे सकती है, यह तो सोच पर निर्भर करता है।त्याग, प्यार और समर्पण ऐसे भाव हैं जो हर रिश्ते की बुनियाद हैऔर इन्हीं भावों से ओतप्रोत होने के कारण माँ को बच्चों का भगवान कहा जाता है।वही गुण एक पिता में भी होते हैं आवश्यकता है उन भावों की अभिव्यक्ति की।मन छूलेने वाली कहानी।
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    Anita
    16 अक्टूबर 2018
    I can't write my feelings about this story .My tears are not ready to stop.
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    Dr.Narendra Dev Sharma
    18 फ़रवरी 2019
    पिता का प्यार मौन होता है विशेषतः बेटी के प्रति।इस कथा मे उस मौन को पुष्पो मे पिरो देने का सार्थक प्रयास किया है।लेखिका को हार्दिक बधाई व साधुबाद।