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हिन्दी

मूठ

4.5
14017

डॉक्टर जयपाल ने प्रथम श्रेणी की सनद पायी थी, पर इसे भाग्य ही कहिए या व्यावसायिक सिद्धान्तों का अज्ञान कि उन्हें अपने व्यवसाय में कभी उन्नत अवस्था न मिली। उनका घर सँकरी गली में था; पर उनके जी में खुली ...

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लेखक के बारे में

मूल नाम : धनपत राय श्रीवास्तव उपनाम : मुंशी प्रेमचंद, नवाब राय, उपन्यास सम्राट जन्म : 31 जुलाई 1880, लमही, वाराणसी (उत्तर प्रदेश) देहावसान : 8 अक्टूबर 1936 भाषा : हिंदी, उर्दू विधाएँ : कहानी, उपन्यास, नाटक, वैचारिक लेख, बाल साहित्य   मुंशी प्रेमचंद हिन्दी के महानतम साहित्यकारों में से एक हैं, आधुनिक हिन्दी कहानी के पितामह माने जाने वाले प्रेमचंद ने स्वयं तो अनेकानेक कालजयी कहानियों एवं उपन्यासों की रचना की ही, साथ ही उन्होने हिन्दी साहित्यकारों की एक पूरी पीढ़ी को भी प्रभावित किया और आदर्शोन्मुख यथार्थवादी कहानियों की परंपरा कायम की|  अपने जीवनकाल में प्रेमचंद ने 250 से अधिक कहानियों, 15 से अधिक उपन्यासों एवं अनेक लेख, नाटक एवं अनुवादों की रचना की, उनकी अनेक रचनाओं का भारत की एवं अन्य राष्ट्रों की विभिन्न भाषाओं में अन्यवाद भी हुआ है। इनकी रचनाओं को आधार में रखते हुए अनेक फिल्मों धारावाहिकों को निर्माण भी हो चुका है।

समीक्षा
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  • author
    हरि ओम शर्मा
    23 अप्रैल 2020
    बहुत पहले पढ़ चुका हूँ । मुंशीजी की बेहतरीन कहानी है ।
  • author
    Dharmesh Dwivedi
    23 अप्रैल 2020
    बहुत सी सीखें है कहानी में... आवश्यकता हो उतना खर्चे... संसार है कुछ मौज भी कर ले... कुछ बचा के भी रख ले... स्थिति को समझे और निर्णय ले.. कुछ कठोर बने पर जरूरत से ज्यादा कठोर नहीं.. दयावान भी बने रहे... वक्त आने पर सब कुछ त्याग करना पड़े तो कर सके जान बचा ले... और भी 1000 सीख मिलती है...
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    हरि ओम शर्मा
    23 अप्रैल 2020
    बहुत पहले पढ़ चुका हूँ । मुंशीजी की बेहतरीन कहानी है ।
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    Dharmesh Dwivedi
    23 अप्रैल 2020
    बहुत सी सीखें है कहानी में... आवश्यकता हो उतना खर्चे... संसार है कुछ मौज भी कर ले... कुछ बचा के भी रख ले... स्थिति को समझे और निर्णय ले.. कुछ कठोर बने पर जरूरत से ज्यादा कठोर नहीं.. दयावान भी बने रहे... वक्त आने पर सब कुछ त्याग करना पड़े तो कर सके जान बचा ले... और भी 1000 सीख मिलती है...