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मॉनसून पैकेज

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थके हुए कदम ज्यों ही सीढ़ी चढ़ने को हुए कि दादी की कड़क आवाज कानों में आई, " उफ्फ आज फिर गायब है राधाl बारिश देख कदम नही टिकते इसके आंगन में, आने दो फिर बताती हूँl" अरे, आज तो काफी देर हो गयी ...

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Nidhi Anand Jha

मेरी कलम तब उठती है, जब दिल में एक हूक सी उठती है वरना दिमाग का क्या, वो तो हर वक्त दौड़ता है...

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