*मिटने वाली रात नहीं* ...आनन्द विश्वास दीपक की है क्या बिसात, सूरज के वश की बात नहीं। चलते – चलते थके सूर्य, पर मिटने वाली रात नहीं। चारों ओर निशा का शासन, सूरज भी निस्तेज हो गया। कल तक जो ...

प्रतिलिपि*मिटने वाली रात नहीं* ...आनन्द विश्वास दीपक की है क्या बिसात, सूरज के वश की बात नहीं। चलते – चलते थके सूर्य, पर मिटने वाली रात नहीं। चारों ओर निशा का शासन, सूरज भी निस्तेज हो गया। कल तक जो ...