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मिलूंगा तुमसे वादा निभाने के बाद

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"सुनो, अगर फिल्मों की तरह मेरी डिलिवरी के वक्त भी तुम्हें डाॅक्टर पूछेंगे कि हम बेबी या माँ में किसी एक को ही बचा सकते हैं तो तुम्हारा जवाब क्या होगा ?" "तुम्हारा दिमाग तो खराब नहीं हो गया ना ? ...

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लेखक के बारे में
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धीरज झा

नाम धीरज झा, काम - स्वछंद लेखन (खास कर कहानियां लिखना), खुद की वो बुरी आदत जो सबसे अच्छी लगती है मुझे वो है चोरी करना, लोगों के अहसास को चुरा कर कहानी का रूप दे देना अच्छा लगता है मुझे....किसी का दुःख, किसी की ख़ुशी, अगर मेरी वजह से लोगों तक पहुँच जाये तो बुरा ही क्या है इसमें :) .....इसी आदत ने मुझसे एक कहानी संग्रह लिखवा दिया जिसका नाम है सीट नं 48.... जी ये वही सीट नं 48 कहानी है जिसने मुझे प्रतिलिपि पर पहचान दी... इसके तीन भाग प्रतिलिपि पर हैं और चौथा और अंतिम भाग मेरे द्वारा इसी शीर्षक के साथ लिखी गयी किताब में....आप सब की वजह से हूँ इसीलिए कोशिश करूँगा कि आप सबका साथ हमेशा बना रहे... फेसबुक पर जुड़ें :- https://www.facebook.com/profile.php?id=100030711603945

समीक्षा
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  • author
    Pratiksha Mishra
    18 জানুয়ারী 2018
    bhut hi pyari or dil ko chu lene wali kahani mai shuru se ant tak roti rahi...........!!
  • author
    25 অক্টোবর 2017
    वाह अति सुंदर और मार्मिक लेखन,बहुत कम ही लोग होते हैं जो एक साथ माँ और पिता की जिम्मेदारियों को निभा पाते हैं।
  • author
    Charu Malik
    14 জুলাই 2017
    Wow.....beautiful story...sachme jo maa baap kar skte hai wo koi nhi kar skta
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    Pratiksha Mishra
    18 জানুয়ারী 2018
    bhut hi pyari or dil ko chu lene wali kahani mai shuru se ant tak roti rahi...........!!
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    25 অক্টোবর 2017
    वाह अति सुंदर और मार्मिक लेखन,बहुत कम ही लोग होते हैं जो एक साथ माँ और पिता की जिम्मेदारियों को निभा पाते हैं।
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    Charu Malik
    14 জুলাই 2017
    Wow.....beautiful story...sachme jo maa baap kar skte hai wo koi nhi kar skta