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मेरी शायरी... कुछ ऐसी ही...🌿

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भूलकर अनजान सा बनाती हो तुम वही हो जो अक्सर याद आती हो बाहर से न अंदर से हामी होगी जब भी अकेली होगी तुम्हे याद तो आनी होगी गरीब का दिल तोड़ वो खुद को ताजमहल समझती है नादान है अभी वो जो बहुत ...

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लेखक के बारे में

कलम कहे बहुत कुछ...✍️🌱🌹

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