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मेरी लड़ाई खुद से है।

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शुरू से ही मेरा दिमाग बहुत तेज़ था। मैं चीजो को जल्दी समझ जाता था। मैं पहले बातों को ध्यान से सुनता था और अच्छी तरह सोंच विचार करने के बाद ही कुछ बोलता था। मेरा ये आदत लोगों को अच्छा लगता था। शुरू ...

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लेखक के बारे में
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कुमार प्रिंस

उम्र थक गई दो वक्त की रोटी कमाने के लिए। घर से ही निकलना पड़ा साहब घर बनाने के लिए।।

समीक्षा
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    आपकी रेटिंग

  • कुल टिप्पणी
  • author
    Chetna Singh
    06 मई 2021
    कितनी ईमानदारी से आपने अपना संघर्ष बयां किया है।अगर संभव होता तो पांच से ज्यादा स्टार देती।मेरी दुआ है आपकी रचनाएं खूब चमकें।माफ करना कुछ शब्द आपने अशुद्ध लिखें हैं।आप मेरी रचनाओं की समीक्षा भी करें।
  • author
    prarthana "Neha"
    02 मई 2021
    बहुत ही खूबसूरती से लिखा आपने। संघर्स से भरा हुआ रचना। लाजबाब तरीके से सब्दो को उखेड़ा है आपने पढ़कर अच्छा लगा।
  • author
    Samir Sharma
    27 मई 2021
    अत्यंत बेहतरीन अभिव्यक्ति।🌺🌺🌺🌺🙏🏻🙏🏻🙏🏻
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    Chetna Singh
    06 मई 2021
    कितनी ईमानदारी से आपने अपना संघर्ष बयां किया है।अगर संभव होता तो पांच से ज्यादा स्टार देती।मेरी दुआ है आपकी रचनाएं खूब चमकें।माफ करना कुछ शब्द आपने अशुद्ध लिखें हैं।आप मेरी रचनाओं की समीक्षा भी करें।
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    prarthana "Neha"
    02 मई 2021
    बहुत ही खूबसूरती से लिखा आपने। संघर्स से भरा हुआ रचना। लाजबाब तरीके से सब्दो को उखेड़ा है आपने पढ़कर अच्छा लगा।
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    Samir Sharma
    27 मई 2021
    अत्यंत बेहतरीन अभिव्यक्ति।🌺🌺🌺🌺🙏🏻🙏🏻🙏🏻