ना जाने क्यों मेरा शरीर अब मेरी आत्मा को ढोता सा दिखाई पड़ता है । एक मृत बेजान सी आत्मा भरे नयनों वाली आत्मा उदासी से परिपूर्ण मेरी आत्मा , गिरी के उस पार से होता सूर्योदय मेरी उम्मीदों को ...
ना जाने क्यों मेरा शरीर अब मेरी आत्मा को ढोता सा दिखाई पड़ता है । एक मृत बेजान सी आत्मा भरे नयनों वाली आत्मा उदासी से परिपूर्ण मेरी आत्मा , गिरी के उस पार से होता सूर्योदय मेरी उम्मीदों को ...